केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने
बीएसएनल और
एमटीएनएल में
नई
जान
डालने
की
योजना
और
दोनों
के
विलय
को
सैद्धांतिक मंजूरी
दी
दूरसंचार पीएसई को 4जी स्पैक्ट्रम आवंटित किया जाएगा
20,000 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि डालने के माध्यम से वित्त पोषण
15,000 करोड़ रुपये के दीर्घकालिक बॉन्ड के लिए सॉव्रन गारंटी
आकर्षक वीआरएस की लागत केन्द्र सरकार वहन करेगी
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज 4जी सेवाओंके लिए स्पैक्ट्रम के प्रशासनिक आवंटन, सॉव्रन गारंटी सहित बॉन्ड्स जारी करनेके माध्यम से ऋण अदायगी की नई रूपरेखा बनाने, कर्मचारी लागत में कमी और परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण के माध्यम से बीएसएनएल एवंएमटीएनएल में नई जान डालने तथा बीएसएनएल और एमटीएनएल के विलय के प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की।
मंत्रिमंडल द्वारा निम्नलिखित को मंजूरी प्रदान की गईः-
- बीएसएनएल और एमटीएनएल को 4जी सेवाओं के लिए स्पैक्ट्रम का प्रशासनिक आवंटन, ताकि ये पीएसयू ब्रॉडबैंड और अन्य डाटा सेवाएं प्रदान करने में सक्षम हो सके। उक्त स्पैक्ट्रम का वित्त पोषण भारत सरकार द्वारा इन पीएसयू में 20,140 करोड़ रुपये मूल्य की पूंजी डालकर किया जाएगा, इसके अलावा इस स्पैक्ट्रम मूल्य के लिए जीएसटी के तौर पर 3,674 करोड़ रुपये की राशि का वहन भी भारत सरकार द्वारा बजटीय संसाधनों के माध्यम से किया जाएगा। इस स्पैक्ट्रम आवंटन का उपयोग करते हुए, बीएसएनएल और एमटीएनएल 4जी सेवाएं उपलब्ध कराने, बाजार में प्रतिस्पर्धा करने तथा अपने विशाल नेटवर्क का उपयोग करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों सहित देश भर में हाई स्पीड डाटा उपलब्ध कराने में समर्थ हो सकेंगे।
- बीएसएनएल और एमटीएनएल 15,000 करोड़ रुपये के दीर्घकालिक बॉन्ड्स भी जारी करेंगे, जिसके लिए सॉव्रन गारंटी भारत सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी। उपरोक्त संसाधनों के साथ बीएसएनएल और एमटीएनएल अपने मौजूदा कर्ज की अदायगी की नए सिरे से रूपरेखा तैयार करेंगे तथा सीएपीईएक्स, ओपीईएक्स तथा अन्य आवश्यकताओं की भी आंशिक पूर्ति करेंगे।
- बीएसएनएल और एमटीएनएल आकर्षक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) के जरिए 50 साल और उससे अधिक आयु के अपने कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की भी पेशकश करेंगे। जिसका वहन भारत सरकार द्वारा बजटीय सहायता से किया जाएगा। वीआरएस के अनुग्रह राशि संघटक के लिए 17,169 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आवश्यकता होगी, भारत सरकार पेंशन, ग्रैच्युटी और रूपांतरण की लागत का वहन करेंगी।
- बीएसएनएल और एमटीएनएल अपनी परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण करेंगे, ताकिऋण चुकाने, बॉन्ड्स की सर्विसिंग, नेटवर्क का उन्न्यन, विस्तार एवं परिचालन संबंधी धनराशि की आवश्यकताएं पूरी जा सके।
- बीएसएनएल और एमटीएनएल के विलय को सैद्धांतिक मंजूरी।
आशा है कि बीएसएनएल और एमटीएनएल में नई जान डालने वाली उक्त योजना के कार्यान्वयन से वे दोनों अपने सुदृढ़ दूरसंचार नेटवर्क के माध्यम से ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों सहित समूचे देश में विश्वसनीय और गुणवत्तापूर्ण सेवाएं उपलब्ध कराने में समर्थ हो सकेंगे।
सीसीईए ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए रबी फसलों के एमएसपी को मंजूरी दी
रबी विपणन
सत्र 2020-21 के लिए चिह्नित किया
जाना है
गेहूं किसानों
को उत्पादन
की औसत
लागत के
दोगुने से
अधिक प्राप्त
करना
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में संपन्न आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए सभी रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि, जिसे रबी विपणन सत्र 2020-21 के लिए चिह्नित किया जाना है, को मंजूरी प्रदान की है।
लाभ और प्रमुख प्रभाव:
रबी विपणन सत्र 2020-21 के लिए चिह्नित रबी फसलों के एमएसपी को मंजूरी देकर सरकार उत्पादन की औसत लागत केकरीब डेढ़ गुने तक लाने का प्रयास किया जिसकी घोषणा सरकार ने केन्द्रीय बजट 2018-19 में ही किया था।
इस एमएसपी नीति के माध्यम से सरकार ने किसानों को न्यूनतम 50 प्रतिशत लाभ प्रदान करने के उद्देश्य एवं 2022 तक इनकी आय को दोगुना कर जीवन शैली में सुधार लाने हेतु किया गया प्रमुख एवं प्रगतिशील कदम है।
रबी विपणन सत्र 2020-21 (आरएमएस) के लिए, सबसे ज्यादा एमएसपी मसूर (325 रूपए प्रति क्विंटल) की, उसके बाद कुसुम (270 रूपए प्रति क्विंटल) और चना (255 रूपए प्रति क्विंटल) बढ़ाने की अनुशंसा की जो किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में लिया गया एक महत्वपूर्ण कदम है।
सफेद सरसों और राई का एमएसपी 225 रूपए प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है। गेहूं और जौ दोनों का एमएसपी 85 रूपए प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है।इससे गेहूं किसानों को लागत पर करीब 109 प्रतिशत (नीचे टेबल देखें) वापस प्राप्त होगा।
एमएसपी के निर्धारण में उत्पादन पर लागत एक प्रमुख कारक है। रबी फसलों के लिए आरएमएस 2020-21 के इस वर्ष के एमएसपी में इस वृद्धि से किसानों को औसत उत्पादन लागत के पर 50 प्रतिशत ज्यादा वापसी (कुसुम को छोड़कर) मिलेगा।भारत की भारित औसत उत्पादन लागत के बनिस्पत गेहूं के लिए वापसी 109 प्रतिशत है; जौ के लिए 66 प्रतिशत; चना के लिए 74 प्रतिशत; मसूर के लिए 76 प्रतिशत;सफेद सरसों के लिए 90 प्रतिशत एवं कुसुम के लिए 50 प्रतिशत है।
रबी विपणन सत्र (आरएमएस)2020-21 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य
क्रम | फसल | उत्पादन लागत आरएमएस 2020-21 | आरएमएस 2019-20 के लिए एमएसपी | आरएमएस 2020-21 के लिए एमएसपी | एमएसपी में निरपेक्ष वृद्धि | लागत की तुलना में वापसी (प्रतिशत में) |
1. | गेहूं | 923 | 1840 | 1925 | 85 | 109 |
2. | जौ | 919 | 1440 | 1525 | 85 | 66 |
3. | चना | 2801 | 4620 | 4875 | 255 | 74 |
4. | मसूर | 2727 | 4475 | 4800 | 325 | 76 |
5. | सफेद सरसों और सरसों | 2323 | 4200 | 4425 | 225 | 90 |
6. | कुसुम | 3470 | 4945 | 5215 | 270 | 50 |
- व्यापक लागत, जिसमें सभी भुगतान के लागत शामिल होते हैं जैसे कि किराए पर मानव श्रम / घंटा, बैलों द्वारा किया गया श्रम / मशीन द्वारा किया गया श्रम, पट्टे पर ली गई जमीन के किराए का भुगतान, बीज, उर्वरक, खाद, सिंचाई पर खर्च, कार्यान्वयन और कृषि भवनों पर मूल्यह्रास, कार्यशील पूंजी पर ब्याज, पंप सेटों के संचालन के लिए डीजल एवं बिजली पर व्यय, कार्यान्वयन और कृषि भवनों पर मूल्यह्रास, कार्यशील पूंजी पर ब्याज, पंप सेटों के संचालन के लिए डीजल एवं बिजली पर व्यय, विविध खर्च और परिवार के श्रम के मूल्य को कम करना आदि शामिल हैं
अनाजों के मामले में, एफसीआई एवं अन्य नामित राज्य एजेंसियां किसानों को समर्थन मूल्य प्रदान करना जारी रखेंगी।राज्य सरकारें भारत सरकार की पूर्व स्वीकृति से दानेदार (मोटे) अनाजों की खरीद का काम करेंगी और एनएफएसए के तहत पूरी खरीद की गई इस मात्रा को वितरित भी करेंगी।एनएफएसए के तहत जारी की गई राशि के लिए ही सब्सिडी प्रदान की जाएगी। नेफेड, एसएफएसीऔर अन्य नामित केंद्रीय एजेंसियां दाल और तिलहन की खरीद का कार्य जारी रखेंगी।इस तरह के कार्य में नोडल एजेंसियों द्वारा किए गए नुकसान को सरकार द्वारा दिशानिर्देशों के तहत पूरी तरह से प्रतिपूर्ति की जा सकती है।
किसानों को आय सुरक्षा प्रदान करने के लिए पर्याप्त नीति बनाने के उद्देश्य से, सरकार का दृष्टिकोणउत्पादन-केंद्रित से बदलकर आय-केंद्रित हो गया है। किसानों की आय में सुधार की दिशा में 31 मई 2019 को संपन्न पहली केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के दायरे को बढ़ाने पर फैसला लिया गया था। पीएम-किसान योजना की घोषणा वित्तीय वर्ष 2019-2020 के अंतरिम बजट में किया गया था, जिसके तहत वैसे कियानों को लाया गया था जिनके पास करीब 2 एकड़ तक की भूमि थी, इसके तहत इन्हें 6000 रूपए वार्षिक सरकार द्वारा प्रदान करने का फैसला किया गया था।
एक अन्य योजना “प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान” की घोषणा सरकार द्वारा 2018 में ही किया गया था जिसके तहत किसानों को उनके उत्पाद का सही पारिश्रमिक देना था। इस योजना के तहत तीन अन्य उप-योजनाएं जैसे मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस), मूल्य में कमी पर भुगतान योजना(पीडीपीएस) और निजी खरीद एवं भंडारण योजना (पीपीएसएस) पायलट आधार पर शामिल किए गए।
भारत में हिम
तेंदुए
की
गणना
के
लिए
प्रथम
राष्ट्रीय प्रोटोकॉल का आरंभ
केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने हिम तेंदुओं की रक्षा और संरक्षण को बढ़ावा देने की दिशा में प्रमुख पहल करते हुए अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस के अवसर पर भारत में हिम तेंदुए की संख्या का आकलन करने के लिए आज प्रथम राष्ट्रीय प्रोटोकॉल का शुभारंभ किया।
देश में हिम तेंदुओं की गणना का अपने किस्म का पहला कार्यक्रम वैज्ञानिक विशेषज्ञों द्वारा उन राज्यों/संघ शासित प्रदेशों, के सहयोग से विकसित किया गया है, जहां हिम तेंदुए पाए जाते हैं। इन राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं।
वैश्विक हिम तेंदुआ एवं पारिस्थितिकी संरक्षण (जीएसएलईपी) कार्यक्रम की संचालन समिति की चौथी बैठक में प्रमुख भाषण देते हुए आज श्री जावड़ेकर ने इस रेंज में आने वाले देशों से प्रकृति के संरक्षण तथा हिम तेंदुओं की संख्या की गणना में सामूहिक रूप से कार्य करने की दिशा में विचार करने का अनुरोध किया। पर्यावरण मंत्री ने कहा, ‘आने वाले दशक में हम दुनिया में हिम तेंदुओं की आबादी को दोगुना करने का प्रयास करेंगे। यह दो दिवसीय सम्मेलन महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दौरान होने वाला विचार-विमर्श, चर्चाएं, सहयोग और एक-दूसरे से सीखना और सर्वोत्तम पद्धातियों को साझा करना हम सभी के लिए लाभदायक होगा। इसलिए, हम प्रकृति को बेहतर तरीके से संरक्षित कर सकते हैं और हम सामूहिक रूप से सकारात्मक कार्य कर सकते हैं।’
श्री जावड़ेकर ने बाघों की आबादी के संबंध में भारत की सफलता के बारे में भी जानकारी दी। इस समय 2967 बाघ हैं, यानी 77 प्रतिशत बाघों की आबादी भारत में निवास करती है, उनकी तादाद का लगभग सटीक आकलन करने के लिए 26000 कैमरों का इस्तेमाल किया गया। भारत में 500 से अधिक शेर, 30000 से अधिक हाथी, 2500 से अधिक एक सींग वाले गैंडे भी हैं।
श्री जावड़ेकर ने यह विश्वास भी व्यक्त किया कि यह विचार-विमर्श व्यावहारिक कार्यक्रम तैयार करने में सफल होगा और इसकी बदौलत प्रकृति के संरक्षण और उसमें सुधार लाने के जरिए जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जंग जीतने तथा तेंदुए, बाघ, शेर, हाथी, गैंडे और समस्त पशु साम्राज्य सहित पारिस्थितिकी के प्रतीकों की संख्या में वृद्धि होने का मार्ग प्रशस्त होगा। श्री जावड़ेकर ने कहा, “हमें क्षमता निर्माण, आजीविका, हरित अर्थव्यवस्था और तो और हिमालयी क्षेत्र के हिम तेंदुएं वाले इलाकों में और हरित मार्ग के बारे में देशों के बीच सहयोग के बारे में विचार मंथन करना चाहिए। यह उन सभी देशों के लिए आधार बनता है, जहां हिम तेंदुए पाए जाते हैं।”
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में सचिव श्री सी.के. मिश्रा ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए पारिस्थितिकी तंत्र के लिए हिम तेंदुए की अहमियत के बारे में जागरूकता फैलाने और उसे समझने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “ये सम्मेलन अन्य देशों की सर्वोत्तम पद्धातियों के बारे में जानने का अवसर प्रदान करते हैं। चर्चाएं पर्यावास और पारिस्थितिकी तंत्र पर केंद्रित होनी चाहिए। हमें बेहतर पारिस्थितिकी तंत्र और बेहतर पर्यावास बनाने का प्रयास करना चाहिए।”
यहां इस बात का उल्लेख करना महत्वपूर्ण होगा कि हिम तेंदुएं 12 देशों में पाए जाते हैं। उन देशों में भारत, नेपाल, भूटान, चीन, मंगोलिया, रूस, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 23-24 अक्टूबर, 2019 को नई दिल्ली में जीएसएलईपी कार्यक्रम की दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय बैठक आयोजित की जा रही है।
जीएसएलईपी की संचालन समिति की चौथी बैठक में नेपाल, रूस, किर्गिस्तान और मंगोलिया के मंत्रियों के साथ-साथ हिम तेंदुओं की आबादी वाले नौ देशों के वरिष्ठ अधिकारी भी भाग ले रहे हैं। जीएसएलईपी की संचालन समिति की बैठक की अध्यक्षता नेपाल और सह-अध्यक्षता किर्गिस्तान कर रहे हैं। इस बैठक में हिम तेंदुए और उसके पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिए सहयोगपूर्ण प्रयासों में तेजी लाने के लिए अपने अनुभवों को साझा करेंगे। प्रतिनिधि हिम तेंदुए के पर्यावासों के विकास के लिए निरंतर किए जाने वाले प्रयासों पर भी चर्चा करेंगे।
स्रोत – PIB